कल नए संसद भवन का उद्घाटन होगा, जानिए फिर क्या होगा पुराने का
Last Updated on May 27, 2023 by Gopi Krishna Verma
नई दिल्ली। कल यानी 28 मई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश को नए संसद का सौगात देने जा रहे हैं। हालांकि विपक्ष इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में भाग नहीं लेंगे। कॉग्रेस सहित देश के 19 विपक्षी पार्टियां इसमें भाग नहीं लेंगे। वज़ह राष्ट्रपति द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन नहीं किया जाना है। नए संसद भवन के उद्घाटन में हो रही राजनीति के इतर लोगों के मन में एक ओर भी सवाल उभर रहा है कि उसके बाद पुराने भवन का क्या होगा? तो आइए जानते हैं आखिर उनका क्या होगा?
नई संसद की आखिर जरूरत क्यों पड़ी:
1.सीटों की कमी- मौजूदा वक्त में लोकसभा सीटों की संख्या 545 है। 1971 की जनगणना के आधार पर किए गए परिसीमन पर आधारित इन सीटों की संख्या में कोई बदलाव नहीं हुआ है। सीटों की यह स्थिरता 2026 तक रहेगी। इसके बाद इसमें बदलाव की संभावना है। ऐसे में जो नए सांसद चुनकर आएंगे उनके लिए बैठने की जगह नहीं होगी। संसद भवन करीब 100 साल पुराना है। केंद्र सरकार का कहना है कि मौजूदा संसद भवन में सांसदों के बैठने के लिए पर्याप्त जगह नहीं होगा।
2.बुनियादी ढांचा- सरकार का कहना है कि आज़ादी से पहले जब मौजूदा संसद भवन का निर्माण किया गया तो उसमें सीवर लाइनों, एयर कंडीशनिंग, अग्निशमन, सीसीटीवी, ऑडियो -वीडियो सिस्टम जैसी आधुनिक चीजों का खास ध्यान नहीं रखा जा सका था। बदलते समय के साथ इसको जोड़ा तो गया, परंतु उससे भवन में सीलन जैसी दिक्कतें उत्पन्न हो गई और आग लगने का खतरा भी बढ़ गया।
3.सुरक्षा- जब 100 वर्ष पहले संसद भवन का निर्माण हुआ था तब दिल्ली भुकंपीय क्षेत्र-2 में थी अब यह 4 में पहुंच गई है।
4.कर्मियों के लिए कम जगह- सांसदों के अलावा सैकड़ों की संख्या में कर्मचारी वहां काम करते हैं। बढ़ते दबाव के चलते संसद में काफी भीड़ हो गई है।
कितनी अलग है नई संसद:
संसद में लोकसभा भवन को राष्ट्रीय पक्षी मयूर और राज्यसभा को राष्ट्रीय फूल कमल की थीम पर डिजाइन किया गया है। पुरानी लोकसभा में अधिकतम 552 व्यक्ति बैठ सकते है, वहीं नई में 888।
पुराने राज्यसभा में 250 सदस्यों के बैठने की जगह थी वहीं नए में 384 सदस्य बैठ सकते हैं। इतना ही नहीं दोनों सदनों के संयुक्त बैठक के दौरान 1272 लोग एक साथ बैठ सकेंगे।
इन सबके अलावे और क्या होगा नए संसद में:
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार नए संसद में सभी सांसदों को अलग ऑफिस दिया जाएगा जिसमें आधुनिक सुविधाएं होंगी ताकि उन्हें ‘पेपरलेस ऑफिस’ के लक्ष्य की ओर बढ़ाया जा सके। नई इमारत में एक भव्य कॉन्स्टिट्यूशन हॉल या संविधान हॉल होगा जिसमें भारत लोकतांत्रिक विरासत को दर्शाया जाएगा। वहां संविधान की मूल प्रति रहेगा। सांसदों के बैठने के लिए बड़ा हॉल, लाइब्रेरी, समितियों के लिए कमरे, भोजन कक्ष और बहुत सारी पार्किंग की जगह होगी। इस पूरे प्रोजेक्ट का निर्माण क्षेत्र 64,500 वर्ग मीटर में फैला है। पुरानी संसद 17,000 वर्ग मीटर से अधिक है।
चलिए अब जानते हैं पुरानी संसद का क्या होगा:
पुराने संसद को ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने ‘काउसिंल हाउस’ के रूप में डिजाइन किया था। इसे बनाने में छह वर्ष (1921-1927) लगा। ब्रिटिश सरकार उसमें उस वक्त विधान परिषद काम करती थी। उस वक्त इसे बनाने में 83 लाख खर्च हुए थे। वहीं नए संसद को बनाने में 862 करोड़ खर्च आया है। आजाद भारत द्वारा इसे ‘काउंसिल भवन’ के रूप में अपनाया गया। अधिकारियों के अनुसार अब उसका इस्तेमाल संसदीय आयोजनों के लिए किया जाएगा।