गिरिडीह सर जेसी बोस उच्च विद्यालय में सिविल सर्जन ने एनीमिया जागरूकता अभियान का किया शुभारंभ

0

Last Updated on June 19, 2024 by Gopi Krishna Verma

गिरिडीह। बुधवार को गिरिडीह उपायुक्त नमन प्रियेश लकड़ा के निर्देशानुसार सर जे सी बोस उच्च विद्यालय में सिविल सर्जन व अन्य अतिथियों ने संयुक्त रूप से सिकल सेल एनीमिया जागरूकता अभियान का शुभारंभ किया।

इस दौरान मौके पर जिला कल्याण पदाधिकारी, जिला आरसीएच पदाधिकारी, सर जेसी बोस उच्च विद्यालय के प्रधानाचार्य, डीपीएम प्रतिभा कुमारी एनएचएम समेत अन्य स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

मौके पर उपस्थित मीडिया बंधुओं को संबोधित करते हुए सिविल सर्जन ने बताया कि हर साल विश्व सिकल सेल जागरूकता दिवस 19 जून को मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि इस जागरूकता अभियान का उद्देश्य सिकल सेल रोग से उत्पन्न बीमारियों से बचाव है। यह अभियान बीमारी के बारे में शिक्षा को बढ़ावा देते हुए प्रारंभिक पहचान और उपचार सुनिश्चित करने के लिए स्क्रीनिंग और जागरूकता रणनीतियों को जोड़ता है। सिकल सेल विशेषता वाले व्यक्तियों की पहचान करके, मिशन का उद्देश्य अगली पीढ़ी में बीमारी के स्वचालित संचरण को रोकना है।

सिकल सेल रोग क्या है

  • सिकल सेल अनुवांशिक रोग होता है।
  • जब तक खून की जाँच नहीं करायी जाए रोग का पता नहीं चलता।
  • परिवार का कोई सदस्य जिनकी उम्र शून्य से 40 वर्ष हो, सिकल सेल जाँच अवश्य कराएं।
  • जाँच जरूरी है नहीं तो मरीज को अन्य शारीरिक जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है।
  • परिवार में किसी को सिकल सेल एनीमिया हो तो परिवार के सभी सदस्य सिकल सेल जाँच जरूर कराएं।

सिकल सेल एनीमिया के लक्षणः

  • एनीमिया/पीलापन दिखाई देना।
  • बार-बार संक्रमण/बीमार होना।
  • थकान, बुखार एवं सूजन तथा कमजोरी महसूस करना।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाना।
  • जोड़ों में दर्द या सूजन।
  • छाती में दर्द, साँस फूलना, पीठ/पेट में दर्द।

रोगी क्या नहीं करें :-

ज्यादा गर्मी या धूप में बाहर नहीं निकलें।

ज्यादा ऊँचाई वाले पहाड़ों, हिल स्टेशन पर न जाएँ।

  • समय-समय पर डॉक्टर की सलाह लें।

ज्यादा ठण्ड में बाहर जाने से बचें।

बच्चों की देखभाल :-

बच्चे को सिकल सेल एनीमिया हो तो स्कूल के प्रिंसिपल/प्राचार्य तथा कक्षा शिक्षक को इसकी जानकारी दें।

  • स्कूल में शारीरिक श्रम/व्यायाम या भारी काम न करवाने की जानकारी शिक्षक को दें।
  • कक्षा में पीड़ित बच्चे को बार-बार पेशाब आने पर शिक्षक शौच जाने की अनुमति दें।

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *