मुंशी प्रेमचंद की मनाई गई जयंती
Last Updated on August 1, 2024 by Gopi Krishna Verma
गिरिडीह। ज़िले में गुरुवार को अभिनव साहित्यिक संस्था ने कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की 144वीं जयंती के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया। शहर के अशोक नगर स्थित सुमन वाटिक में आयोजित जयंती कार्यक्रम की अध्यक्षता उर्दू के लेखक मोइनउद्दीन शमसी ने की।
कार्यक्रम में उपस्थित संस्था के सदस्यों ने प्रेमचंद की तस्वीर पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किया। संगोष्ठी में लेखक डा छोटू प्रसाद, शायर मोइउनुद्दीन शमसी, नाटककार बद्री दास, विचारक शंकर पाण्डेय, पत्रकार आलोक रंजन, कवि प्रदीप गुप्ता, विचारक प्रभाकर कुमार, छात्रा निशु कुमारी और अभिनव के सचिव रितेश सराक ने मुंशी प्रेमचंद के अवदान और उनकी विरासत पर अपने विचार व्यक्त किए। शायर मोइउनुद्दीन शमसी ने प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी ईदगाह का जिक्र करते हुए कहा कि उनके साहित्य से हम सामाजिक और सांप्रदायिक सद्भाव की सीख ले सकते हैं।
विचारक शंकर पांडेय ने कहा कि आज के सामाजिक और राजनीतिक हालात में प्रेमचंद की साहित्यिक विरासत को अपनाने की अधिक जरूरत है। लेखक डा छोटू प्रसाद चंद्रप्रभ ने कहा कि सौ साल बाद भी प्रेमचंद का साहित्य प्रासंगिक और जीवंत है। मुख्य वक्ता शहर के वरिष्ठ रंगकर्मी बद्री दास ने कहा कि आज भी समाज में समांती और जातिगत विद्वेष की भावना मौजूद है, ऐसे में प्रेमचंद साहित्य हमें राह दिखाता है।
समीक्षक प्रभाकर ने कहा कि इस संक्रमण काल में प्रेमचंद जयंती मनाना ही बड़ी बात है। अभिनव के सचिव रितेश सराक ने कहा कि राज्य बनने के 24 वर्षों के बाद भी हिन्दी साहित्य अकादमी, राजभाषा परिषद और राज्य ग्रंथ अकादमी जैसे संस्थानों का गठन नहीं होना दुर्भाग्य की बात है। पत्रकार आलोक रंजन ने सरकार द्वारा पाठ्य पुस्तकों में प्रेमचंद और अन्य साहित्यकारों के मूल लेखन से छेड़छाड़ के चलन को गलत बताया। संगोष्ठी का संचालन रितेश सराक ने किया।