श्रीराम बाल संस्कारशाला के तहत पेशे से रोजगार सेवक भवानी प्रसाद वर्मा बच्चों में नैतिक शिक्षा का जगा रहे अलख
Last Updated on August 11, 2024 by Gopi Krishna Verma
बिरनी। प्रखंड क्षेत्र के ग्राम गुरहा निवासी भवानी प्रसाद वर्मा ने अपने गांव के बच्चों के उज्ज्वल भविष्य एवं उनकी नैतिक शिक्षा के लिए एक विशेष पहल कर रहा है। इसके लिए उन्होंने गायत्री परिवार के द्वारा संचालित ‘श्रीराम बाल संस्कारशाला’ का अपने गांव में प्रतिदिन संचालन कर रहा है, जो क्षेत्र के बच्चों को अच्छे संस्कार और नैतिक मूल्य आधारित शिक्षा देने के लिए समर्पित है।
गांव में आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों की शिक्षा की कमी को महसूस करते हुए भवानी प्रसाद वर्मा ने गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार द्वारा संचालित बाल संस्कार शाला की शुरुआत विगत दो वर्ष पूर्व अपने गांव में किया था जो अनवरत चल रहा है। उनका मानना है कि आज की बदलती दुनिया में बच्चों को केवल अकादमिक शिक्षा देना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उनके अंदर अच्छे संस्कार और जीवन के सही मूल्य भी रोपित करना आवश्यक है। श्रीराम बाल संस्कार शाला में बच्चों को नैतिकता शिक्षा, अनुशासन, और भारतीय संस्कृति के बारे में भी सिखाया जाता है। यहां बच्चों को छोटी उम्र से ही अच्छे आचरण, आदर्श जीवनशैली, और सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक किया जाता है। शाला में विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से बच्चों को उनकी संस्कृति और परंपराओं से जोड़ने की कोशिश की जाती है।
गांव के लोग भवानी प्रसाद वर्मा की इस पहल की सराहना कर रहे हैं और इसे गांव के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मान रहे हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि इस शाला के माध्यम से उनके बच्चों को ऐसी शिक्षा मिल रही है, जो उन्हें जीवन में सही दिशा में आगे बढ़ने में मदद करेगी। भवानी प्रसाद वर्मा का यह प्रयास न केवल उनके गांव के बच्चों के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। इस पहल से यह संदेश मिलता है कि अगर समाज के प्रत्येक व्यक्ति अपने स्तर पर शिक्षा और संस्कारों के क्षेत्र में योगदान दे, तो भविष्य में हमारे देश की नींव और भी मजबूत हो सकती है।
बिरनी प्रखंड सरंडा और अन्य गांवों और समुदायों में भी इसी तरह की शालाओं की संचालन गायत्री परिवार के नैष्टिक कार्यकर्ता के द्वारा किया जा रहा है। गायत्री परिवार के लिए प्रेरित करेगी, जिससे देश के हर कोने में बच्चों को संस्कारों और मूल्यों की शिक्षा मिल सकेगी।