अवधी भाषा के प्रगतिशील कवि जुमई खां ‘आजाद’ स्मृति संवाद का आयोजन
Last Updated on August 11, 2024 by Gopi Krishna Verma
गिरिडीह। रविवार को जन संस्कृति मंच, गिरिडीह और ‘परिवर्तन’ पत्रिका के साझे प्रयत्न से गिरिडीह कॉलेज, गिरिडीह के न्यू बिल्डिंग में अवधी भाषा के प्रगतिशील कवि जुमई खां ‘आजाद’ स्मृति संवाद के तहत जुमई खां ‘आजाद’ की कविताओं का पाठ किया गया। उनकी कविताओं पर बतौर मुख्य वक्ता अवधी और हिंदी के युवा कवि-आलोचक डॉ.शैलेंद्र कुमार शुक्ल ने व्याख्यान दिया।
जुमई खां का जन्म 05 अगस्त 1930 को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिला के गोबरी गांव में हुआ था। वे समाजवादी विचारधारा से ताजिंदगी जुड़े रहे और डॉ.राममनोहर लोहिया और जयप्रकाश नारायण के करीबी थे। समाजवादी आंदोलनों में उनको जेल भी जाना पड़ा था। शैलेंद्र ने बताया कि हिंदी और अवधी कविताओं की कुल इक्कीस किताबें प्रकाशित हैं। उनका आखिरी अवधी कविता संग्रह का नाम ‘कथरी’ है।
शैलेंद्र ने कहा कि अवधी के कवि ‘पढ़ीस ‘ के बाद जुमई खां की कविताओं में सबसे अधिक वर्ग चेतना की सहज अभिव्यक्ति हुई है। वे ऐसे कवि थे जो जीवन भर खेती और कविकर्म से जुड़े रहे। अपने बीज वक्तव्य में डॉ. बलभद्र ने कहा कि जुमई खां मध्यकाल के कवि तुलसीदास की भाषा को आधुनिक और प्रगतिशील धार देने वाले कवि थे। उन्होंने कहा कि भोजपुरी, मगही, खोरठा, संताली आदि अनेक भाषाओं के कवियों को भी पढ़ने समझने की जरूरत है। बाबा साहेब अंबेडकर के विचारों के अध्येता रामदेव विश्वबंधु ने कहा कि स्थानीय भाषाओं की कविताओं में जीवन, समाज, संस्कृति की विश्वसनीय अभिव्यक्तियां देखने को मिलती हैं। उन्होंने शैलेंद्र शुक्ल को जुमई की कविताओं से परिचित कराने के लिए धन्यवाद दिया।
जमुआ से आए हुए मु. आलम अंसारी ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से हम भाषाई और सांस्कृतिक विविधताओं से परिचित होते हैं। बतौर मुख्य अतिथि कॉलेज के प्राचार्य डॉ.अनुज कुमार ने कहा कि जुमई खां ‘आजाद ‘ निर्भीक कवि थे। अवध क्षेत्र और अवधी भाषा को जैसे तुलसीदास की कविताओं से समझा गया, वह सामर्थ्य जुमई खां की कविताओं में भी है।
कार्यक्रम का आरंभ जुमई खां की कविताओं से हुआ। आठवीं कक्षा का विद्यार्थी अनुपम ने प्रसिद्ध कविता ‘कथरी’ का पाठ किया तो डॉ.महेश सिंह ने ‘बड़ी बड़ी कोठिया सजाए पूंजीपतिया’ गाकर सुनाया।
कार्यक्रम में डॉ. सनोज कुमार केसरी, हीरालाल मंडल, राजेश सिन्हा, धर्मेंद्र कुमार वर्मा, शंभु तुरी, रवि कुमार यादव, नयन कुमार सोरेन, मुकेश कुमार यादव, अजय डोम, राधिका कुमारी, स्वीटी कुमारी, धर्मेंद्र यादव, विनय हांसदा आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन जसम के राज्य कमिटी के सदस्य शंकर पांडेय और धन्यवाद ज्ञापन डॉ.महेश सिंह ने किया।