52 वर्षों से संचालित स्कूल में बच्चों की संख्या नगण्य, अभिभावकों में आक्रोश
Last Updated on July 27, 2023 by Gopi Krishna Verma
बिरनी। सरकार की तमाश कोशिशों के बावजूद सरकारी स्कूलों में नामांकन रफ्तार नहीं पकड़ रहा है। मिड-डे-मील जैसी योजनाओं के बावजूद सरकारी स्कूलों में नामंकन नहीं बढ़ पा रहा है। प्रखण्ड के मध्य विद्यालय बलगो वर्ष 1971 से संचालित है परन्तु 52 वर्ष बाद भी विद्यालय में 1 से 8 तक के बच्चों की संख्या मात्र 80 है। ज्ञात हो कि विद्यालय के आसपास बलगो, खेदवारा, चिरुडीह, धर्मपुर एवं आजादनगर गांव से बच्चे आ सकते हैं, परंतु शिक्षक विद्यालय के ऑफिस में बैठकर पिछले 52 वर्षों से बच्चों इंतजार कर रहे हैं। वहीं ग्रामीण अभिभावकों का कहना है कि पहले से ही यह क्षेत्र पिछड़ा हुआ है। अब भी हम अपने बच्चों शिक्षा नहीं देंगे तो यह भी हमारी तरह पीछे छूट जाएंगे। सरकारी विद्यालय में पढ़ाई की स्थिति से आप अनजान नहीं हैं। सरकारी विद्यालय बच्चे सिर्फ जाते हैं पढ़ाई क्या होती है वह शिक्षक खुद जानते हैं। लोगों ने कहा कि वे अपने बच्चों को निजी विद्यालय भेजते हैं, जहां से वह आगे भविष्य में कुछ कर सकेगा। जानकारी के अनुसार विद्यालय में एक सरकारी शिक्षक के अलावा 3 अन्य सहायक शिक्षक हैं। विद्यालय में कुल नामंकित 80 विद्यार्थी हैं, जिसमें 30 से 35 की उपस्थिति रहती है। वहीं दूसरी ओर उसी कैंपस में स्थित उत्क्रमित उच्च विद्यालय की भी स्थिति मध्य विद्यालय की तरह ही है। उत्क्रमित उच्च विद्यालय के 10 वीं में कुल नामांकित विद्यार्थियों की संख्या 32 है। ग्रामीणों के अनुसार मध्य विद्यालय एवं उच्च विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या में बढ़ोतरी किया जा सकता है, यदि शिक्षक जमीनी स्तर पर काम करें।
पानी तक कि व्यवस्था नहीं:
स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या नहीं बढ़ने का एक कारण यह भी है कि विद्यालय में पीने की पानी तक कि व्यवस्था नहीं है। बच्चे अपने घर से बोतल में पानी लेकर स्कूल पहुंचते हैं। मध्यान भोजन तक यह भी खत्म हो जाता है । रनिंग वाटर के लिए लगे टंकी को किसी ने पत्थर से मार कर तोड़ दिया जिस वजह से यह बंद पड़ा है। हालांकि इसे ठीक किया जा रहा है।
योजना का लाभ सरकारी, पढ़ाई निजी:
सरकार द्वारा बालिका साइकिल योजना, पोशाक राशि, छात्रवृत्ति, बालिका नैपकिन योजना सहित कई योजनाएं चलाई जा रही है बावजूद सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या नहीं बढ़ रही है। वहीं दूसरी ओर इनका लाभ लेने के लिए छात्र- छात्रा सरकारी विद्यालयों में अपना नामांकन कराते हैं, लेकिन पढ़ाई निजी विद्यालयों में ही करते हैं। इस पर नकेल कसने से लिए स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाई जा सकती है।
क्या कहते हैं प्रधानाचार्य:
प्रधानाचार्य संजीत कुमार ने कहा विद्यालय गलत लोकेशन में बना हुआ है जिस वजह से बच्चे यहां नहीं आना चाहते हैं। नामंकन के लिए शिक्षकों ने गांवों में कैंप भी किया, परंतु स्थिति में सुधार नहीं हो पा रहा है।