सियासत का खेल जारी, बगोदर में सरकारी योजनाओं का दिखावा, जनता को किया जा रहा है गुमराह
Last Updated on October 5, 2024 by Gopi Krishna Verma
चुनावी मौसम में योजनाओं की बाढ़, पूर्व विधायक नागेंद्र महतो ने उठाए सवाल
बिरनी। जब से झारखंड में चुनावी माहौल गर्माया है, तब से स्थानीय विधायक और सरकार की ओर से कई योजनाओं का सिर्फ शिलान्यास किया जा रहा है।
विशेष रूप से “मैया सम्मान योजना, “बिजली बिल माफी, “केसीसी माफ, और “झारखंड मिल्ट मिशन योजना” जैसे कार्यक्रमों का प्रचार जोर-शोर से किया जा रहा है। लेकिन सवाल उठता है कि यह सब चुनावी नजाकत में क्यों हो रहा है? क्या यह सिर्फ एक दिखावा है या फिर जनता की वास्तविक जरूरतों की ओर ध्यान देने का प्रयास? इस मुद्दे पर जब पूर्व विधायक नागेंद्र महतो बड़े हीं बेबाक ढंग से अपने विचारों को साझा करते हुए कहा, “सरकार साल में केवल 9 महीने राशन देती है, लेकिन चुनाव के समय वह दो-दो माह का राशन देने का वादा कर रही है। क्या यह सच में जनता की भलाई के लिए है या केवल वोटों के लिए? पिछले 4 से साढ़े चार सालों में विधायक ने जनता के मुद्दों पर कोई ध्यान नहीं दिया और अब चुनाव नजदीक आते ही वे रोज़ कहीं न कहीं योजनाओं का शिलान्यास कर रहे हैं। “विशेष रूप से, “केसीसी माफ” योजना का उल्लेख होना आवश्यक है।
यह योजना किसानों के लिए कर्ज माफी का एक साधन है, जो उन्हें आर्थिक राहत प्रदान करने का वादा करती है। लेकिन इस योजना के कार्यान्वयन पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। क्या किसानों को वास्तव में इस कर्ज माफी का लाभ मिलेगा या यह भी एक चुनावी लॉलीपॉप है? इससे पहले की सरकारों ने किसानों के कल्याण के लिए कई योजनाएं घोषित की हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर इनका प्रभाव बहुत कम रहा है। इसी तरह, “झारखंड मिल्ट मिशन योजना” का उद्देश्य स्थानीय किसानों को बेहतर सुविधाएं और बाजार उपलब्ध कराना है। लेकिन क्या इस योजना का कार्यान्वयन सही तरीके से हुआ है? स्थानीय लोग अब जागरूक हो चुके हैं और समझते हैं कि उन्हें वास्तविक लाभ कब और कैसे मिलेगा। स्थानीय लोग अब जागरूक हो चुके हैं। वे समझते हैं कि वोटिंग का अधिकार केवल एक कागज़ पर हस्ताक्षर करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उनके भविष्य को निर्धारित करने का एक माध्यम है।
बगोदर की जनता को यह पता है कि उन्हें किसे वोट देना है और क्यों देना है। वे इस बात को भली-भांति समझते हैं कि पिछले कार्यकाल में विधायक के कार्यों की क्या स्थिति थी। एक और गंभीर मुद्दा जो सामने आया है, वह है राशन की चोरी। बिरनी प्रखंड में चावल चोरी होने की घटनाएं लगातार हो रही हैं, लेकिन अब तक कोई भी दोषी पकड़ा नहीं गया। चाइल्ड पोर्टल के माध्यम से बच्चों के बीच बांटने वाले चावल के घोटाले के मामलों में भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। इस प्रकार की भ्रष्टाचार की घटनाएं विधायक के कार्यकाल में बढ़ी हैं, जिससे लोगों का विश्वास सरकार और स्थानीय प्रतिनिधियों से उठ रहा है।
बगोदर की जनता अब पहले से कहीं अधिक जागरूक है। वे जान चुके हैं कि किस तरह की योजनाएं वास्तव में उनके कल्याण के लिए हैं और कौन सी केवल चुनावी सियासत का एक हिस्सा हैं। अब समय आ गया है कि जनता एकजुट होकर अपनी आवाज उठाए और उन नेताओं को जवाबदेह ठहराए जो चुनाव के समय अपने वादों को भूल जाते हैं। यह निश्चित रूप से लोकतंत्र की सही परिभाषा है, जहां जनता ही अपने भविष्य का निर्धारण करती है।