बड़ी ख़बर: पूर्व भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष प्रणव वर्मा ने थामा झामुमो का हाथ
Last Updated on November 2, 2024 by Gopi Krishna Verma
गिरिडीह। शनिवार को भाजपा के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष प्रणव वर्मा ने जेएमएम का दामन थाम लिया। वे टिकट नहीं मिलने से भाजपा से नाखुश चल रहे थे। उन्हें मनाने के लिए भाजपा ने उन्हें कल ही यानी शुक्रवार को धनवार, कोडरमा व बरकट्ठा विधानसभा का चुनाव समन्वयक मनोनीत किया था। इसके बाद भी वे खुश नहीं थे।
उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, कल्पना सोरेन मुर्मू, सुदिव्य सोनु, राज्यसभा सांसद महुआ मांजी के अगुवाई में जेएमएम पार्टी ज्वाइन की।
इस दौरान उनके साथ उनकी मां चंपा वर्मा, धर्मपत्नी पुष्पा वर्मा, जमुआ विधायक केदार हाजरा उपस्थित थे।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर प्रणव वर्मा ने लिखा भावुक पोस्ट-
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प्रिय साथियों,
मैं भारी मन और गहरे भावुकता के साथ आप सभी के समक्ष कुछ शब्द साझा कर रहा हूँ। जैसा कि आप सब जानते हैं, मेरे पिताजी भूतपूर्व भाजपा सांसद स्व. रीतलाल प्रसाद वर्मा जी ने अपना संपूर्ण जीवन, अपना खून-पसीना इस भाजपा को खड़ा करने में लगा दिया था। श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी और आदरणीय लालकृष्ण आडवाणी जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर झारखंड (तत्कालीन दक्षिण बिहार) में पार्टी को अपने अस्तित्व में लाने में उन्होंने जो योगदान दिया।
उनके बलिदान, त्याग और मेहनत का हर कण आज भी हमारे दिलों में बसता है।यह मेरी सौभाग्य की बात थी कि मुझे उस पार्टी की सेवा करने का अवसर मिला जिसके हर कण में मेरे पिताजी की मेहनत की महक है। मैंने भी अपनी हर साँस, अपने तन-मन-धन से पार्टी को सींचने का संकल्प लिया। जो भी दायित्व मुझे सौंपा गया, उसे मैंने निष्ठा और ईमानदारी से निभाने का प्रयास किया। लेकिन, पार्टी के लिए अपना जीवन खपा देने वाले कार्यकर्ताओं को जब सम्मान नहीं मिलने लगा तो मुझे ऐसा महसूस हुआ कि अब वह पार्टी, वह आदर्श, वह सिद्धांत नहीं बचे हैं जिनके लिए मेरे पिताजी ने अपना सर्वस्व अर्पित किया था। पार्टी ने अटल-आडवाणी के उस युग से कदम पीछे खींच लिए हैं, और इस बदलाव ने मेरे हृदय में गहरा दर्द पैदा कर दिया है। यह दर्द और गहरा तब हुआ जब मुझे और मेरे जैसे समर्पित कार्यकर्ताओं को लगातार दरकिनार किया गया। मेरे पिताजी के राजनीतिक और सामाजिक योगदान, मेरे परिवार की विरासत, और मेरे अपने बीस वर्षों के मेहनत और निष्ठा को नजरअंदाज किया गया।मेरी राजनीतिक और सामाजिक पूंजी को समाप्त करने के लिए लगातार षड्यंत्र रचे जाने लगे।यह बात मेरे लिए अत्यंत दुखदायी रही है कि जहाँ मेरे पिताजी और बड़े पिताजी स्व. जेपी कुशवाहा जी जैसे महान नेताओं ने हमारे समाज को एक दिशा देने का कार्य किया, वहाँ उनके योगदान को धूमिल करने की कोशिश की गई। इन सब से दुखी होकर भारी मन से मैं पार्टी को छोड़ रहा हूँ और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता सहित तमाम दायित्वों से स्तिफा दे रहा हूं।मैं पुनः एक नई ऊर्जा, नए विश्वास और नई सोच के साथ आप सबके बीच आ रहा हूँ। मेरा विश्वास है कि जैसे आप मेरे पिताजी के कंधे से कंधा मिलाकर चले थे, जैसे आपने मुझे सदा अपने बेटे या भाई की तरह सहयोग किया वैसे ही मेरे साथ आगे भी इस नए सफर में साथ रहेंगे lआपका यह स्नेह और समर्थन मेरे लिए बहुत मूल्यवान है, और उम्मीद करता हूँ कि आपके आशीर्वाद का यह मोल मैं हमेशा संजो कर रखूँगा।
आपका, प्रणव वर्मा