13 बीमारियों की दवाई होगी सस्ती, चार बाजार में उपलब्ध, चार के मंजूरी का इंतजार

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Last Updated on November 27, 2023 by Gopi Krishna Verma

असाध्य रोगों की आठ दवाएं सौ गुनी सस्ती

MEDICARE: देश के लोगों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। भारत को छह दुर्लभ बीमारियों की आठ दवाएं तैयार करने में सफलता मिली है। इन रोगों की दवाओं पर सलाना करोड़ों खर्च होता था, लेकिन अब चार ऐसी दवाएं देश में बननी शुरू हो गई है। जिसके बाद उपचार का खर्च घटकर महज कुछ लाख रह गया है। बताते चलें कि दुर्लभ बीमारी होने की स्थिति में सरकार 50 लाख रुपए तक अधिकतम सालाना मदद करती है।

2.2 करोड़ का इलाज अब 2.5 लाख में: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ.मनसुख मंडाविया और नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल ने 24 नवंबर को बताया कि भारत सरकार ने उद्योग जगत के साथ 13 दुर्लभ बीमारियों की दवाएं भारत में बनाने का निर्णय लिया था। अब तक चार दवाएं बाजार में उतार दी गई हैं, अन्य चार मंजूरी की प्रक्रिया में हैं। उन्होंने बताया कि यकृत से जुड़ी बीमारी टाइरोसिनेमिया टाइप-1 के इलाज में इस्तेमाल कैप्सूल निटिसिनोन के जरिए एक बच्चे के उपचार का सालाना खर्च 2.2 करोड़ रुपये के करीब आता है। अब ढाई लाख रह जाएगा।

गौशर रोग के इलाज का सालाना खर्च 1.8-3.6 करोड़ तक था, वह भारतीय दवा से 3.6 लाख रह गया है। विल्सन रोग की दवा समेत अन्य कई दवाएं भी सस्ती हो जाएंगी।

70 हजार का सीरप महज़ 405 रुपए में: सिकल सेल रोग की दवा हाइड्रोक्सीयूरिया की टेबलेट देश में बनती है, लेकिन बच्चों को टेबलेट देना मुश्किल होता है। इसका सीरप काफी महंगा है और 100 एमएल की एक बोतल की कीमत करीब 70 हजार रुपये है, लेकिन भारतीय दवा कंपनियों ने इसे महज 405 रुपये में तैयार करने में सफलता हासिल की है। अगले साल मार्च तक यह सीरप बाजार में उपलब्ध हो जाएगा। इससे आम लोगों की पहुंच में इसका इलाज होगा।

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