आज गिरिडीह का 51वां स्थापना दिवस
Last Updated on December 4, 2023 by Gopi Krishna Verma
आइए जानते हैं गिरिडीह के बारे में वह सबकुछ, जिसे जानना है आपके लिए जरूरी
Giridih Foundation Day: आज़ गिरिडीह जिला का 51वां स्थापना दिवस है। यह झारखंड का ग्यारहवां जिला है। यह झारखंड का एक प्रशासनिक जिला है जिसका मुख्यालय गिरिडीह में है।
इसे 4 दिसंबर,1972 को हज़ारीबाग जिले से अलग किया गया था। यह 24 डिग्री 11 मिनट उत्तरी अक्षांश और 86 डिग्री 18 मिनट पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। इसके उत्तर में बिहार के जमुई और नवादा जिले के कुछ हिस्सा, पूर्व में देवघर और जामताड़ा जिला, दक्षिण-पश्चिम में धनबाद-बोकारो और हज़ारीबाग़-कोडरमा है।
गिरिडीह का अर्थ:
गिरिडीह (Giridih) का अर्थ है “गिरी” का अर्थ “पहाड़,पर्वत” और “डीह” का अर्थ है “क्षेत्र या भूमि” होता है यानि की गिरिडीह शब्द का शाब्दिक अर्थ निकलता है “पहाड़ों वाला क्षेत्र”।
गिरिडीह जिला एक उद्यमी और सकारात्मक सामाजिक संरचना के साथ भी जाना जाता है। यहां के लोगों का आजीविका का मुख्य साधन कृषि है, जिसमें धान, गेहूँ, और अन्य फसलें शामिल हैं।
गिरिडीह जिला अपनी प्राकृतिक सौंदर्य, सांस्कृतिक धरोहर, और कृषि दृष्टि से समृद्धि का केंद्र है, और यह अपने स्थानीय आदिवासी भाषा और सांस्कृतिक विविधता के लिए भी प्रसिद्ध है। खंडोली डैम, उसरी नदी पर बना वाटर फॉल भी देखने के लिए सैलानियों की भीड़ उमड़ पड़ती है।
प्राचीन काल में गिरिडीह: प्राचीन काल में गिरिडीह ऊंची एवं दुर्गम पहाड़ियों से घिरा हुआ था। यहां के आदिवासी घने जंगल और नदियों से घिरे पहाड़ी क्षेत्र में रहते थे। इस क्षेत्र की जनजातियां गैर आर्य थीं और वहां शांतिपूर्वक रहती थीं। हालांकि, वहां कोई राजा नहीं था, फिर भी बाहरी ताकतों के खतरे के कारण इसकी तत्काल आवश्यकता महसूस की गई। सांस्कृतिक साक्ष्य और पांडुलिपियां बताती हैं कि तत्कालीन गिरिडीह के लोगों ने मुंडाओं को अपना राजा चुना था। यह कदम क्षेत्र के बेहतर प्रशासन और क्षेत्र में विदेशी आक्रमणकारियों और घुसपैठियों को रोकने के लिए उठाया गया था।
पारसनाथ पहाड़ी वाला यह क्षेत्र देश के धार्मिक केंद्रों में से एक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि लगभग 2000 वर्ष पूर्व। इस स्थान को सम्मेद शिखर या सम्मेत शिखर, ‘एकाग्रता का शिखर’ भी कहा जाता है, क्योंकि 24 में से 20 तीर्थंकरों ने इस स्थान पर समाधि या ध्यान एकाग्रता के माध्यम से निर्वाण प्राप्त किया था। शिखरजी में टोंक में चौबीस तीर्थंकरों और दस गणधरों के पैरों के निशान हैं जिन्होंने पहाड़ियों का दौरा किया था।
गिरिडीह का पुराना नाम खुखरा: मुगल साम्राज्य के उदय के दौरान गिरिडीह को पहली बार राजस्व प्रशासन क्षेत्र में पेश किया गया था। 1556 ई. में महान सम्राट अकबर ने गद्दी संभाली और झारखंड के क्षेत्रों पर विजय प्राप्त की। खुखरा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गिरिडीह को मुगल साम्राज्य में शामिल कर लिया गया। गिरिडीह हज़ारीबाग़, धनबाद और अन्य स्थानों के साथ साम्राज्य का हिस्सा बना रहा। गिरिडीह के इतिहास में नया अध्याय जुड़ गया, जिससे इसकी पहुंच देश के अन्य हिस्सों तक हो गई।
ब्रिटिश शासन में गिरिडीह: मुगल साम्राज्य के पतन के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली। भारत का भविष्य नए शाही शासकों द्वारा फिर से लिखा गया था और स्वतंत्रता का सूरज डूबने की कगार पर था। सबसे पहले कंपनी ने इस क्षेत्र पर विजय प्राप्त की और इसे रामगढ़, केंडी, कुंडी और खड़गडीहा जैसे अन्य महत्वपूर्ण प्रांतों में मिला लिया। ब्रिटिश राज के दौरान पूरे पलामू को साउथ वेस्ट फ्रंटियर एजेंसी के तहत शामिल कर लिया गया था।
गिरिडीह का आधुनिक इतिहास: इस क्षेत्र का मुख्यालय हज़ारीबाग़ था। कंपनी से सत्ता क्राउन को हस्तांतरित होने के बाद यह क्षेत्र ब्रिटिश सरकार के अधीन छोटा नागपुर एजेंसी का हिस्सा बन गया। यह क्षेत्र ब्रिटिश सरकार के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद रहा है, जो इस तथ्य से स्पष्ट है कि उन्होंने शहर में खनिज क्षेत्र तक पहुंचने के लिए 1871 में रेलवे ट्रैक बिछाया था।
आजादी के बाद गिरिडीह का इतिहास:1947 में गिरिडीह शेष भारत के साथ स्वतंत्र स्थान बन गया। गिरिडीह बिहार राज्य में हज़ारीबाग़ जिले का एक हिस्सा बन गया। वर्ष 1972 में, मौजूदा हज़ारीबाग जिले से गिरिडीह जिले के रूप में एक अलग जिला बनाया गया था। गिरिडीह शहर जिले का प्रशासनिक केंद्र बन गया। वर्ष 2000 में जब बिहार से अलग होकर झारखंड अलग राज्य बना तो खनिज समृद्ध क्षेत्र के रूप में गिरिडीह का महत्व कई गुना बढ़ गया।
गिरिडीह में ऐतिहासिक और धार्मिक स्थान: यह शहर धार्मिक महत्व का स्थान है। शहर के महत्व को पारसनाथ तीर्थ से समझा जा सकता है जिसे जैन धर्म में अवश्य देखने योग्य तीर्थ माना जाता है। पारसनाथ मंदिर के अलावा मधुवन एक और क्षेत्र है जहां कई मंदिर हैं और एक महत्वपूर्ण जैन तीर्थस्थल भी है। मधुबन के संग्रहालय में जैन संस्कृति और स्थान का इतिहास शामिल है। इसके अलावा, झारखंडधाम, हरिहर धाम, लंगटा बाबा समाधि स्थल, दुखिया महादेव मंदिर, श्री कबीर ज्ञान मंदिर आदि जैसे अन्य भक्ति स्थल भी हैं।
आज गिरिडीह व्यवसाय और वाणिज्य के लिए उभरते शहरों में से एक है। सरकार ने गिरिडीह को सबसे संभावित पर्यटन केंद्रों में से एक के रूप में पहचाना है। तेजी से शहरी विकास और आधुनिकीकरण ने शहर को झारखंड राज्य के प्रमुख शहरों में से एक बना दिया है।