मातृ दिवस पर विशेष: किसी की औकात नहीं माँ के समान खुशियां बांटना

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Last Updated on May 13, 2023 by dahadindia

कवयित्री बबिता सिंह अपने बच्चों संग (हाजीपुर, वैशाली, बिहार)

सोचती हूँ माँ तेरे बिना इस धरा का क्या होगा तू न होगी, तो शायद खुदा भी ना होगा। तूने तो सबको है बराबर दिया, पर किसने क्या लिया, यह किस्मत की बात है।

तूने हर खुशी अपने बच्चों में मानी, मत्सर के कारण हुई ममता बेगानी। बिन तेरे होली अब नहीं जमती, तेरे सिले हुए कपड़े बाजारों में कहाँ मिलती। कपड़े पहनाकर तेरा हसरत से निहारना किसी की औकात नहीं ऐसे खुशियों को बाँटना।

तेरी रोटी की मिठास भी तो गजब थी खाने का स्वाद, रुचि भी तुम्हारे प्रेम से ही थी। ईश्वर अगर बैठ जाए इस धरा पर आकर, खुश हूँ माँ निश्चय ही तुमको पाकर। क्योंकि उसने जो दिया हाथ बढ़ाकर, तुमने सारा भर दिया झोली में लाकर।

तेरा ऋण तो कोई भी नहीं चुका सकता, ना करने वालों का खुदा भी नहीं हो सकता। रब से ज्यादा है तेरी रहमत की ताकत खुदा भी विवश होगा देख तेरी बगावत, तेरी निश्छलता पर करूँ मन समर्पण तेरी ही दुआ से धन्य रहे जीवन, तू स्वस्थ रहे, जिए सौ साल, तेरी ममता पाकर बनूँ मालामाल।

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