Last Updated on May 13, 2023 by dahadindia

कवियत्री बबिता सिंह अपने माँ के साथ (हाजीपुर, वैशाली, बिहार)

माँ शरद चाँदनी सी, मृदु, स्निग्ध अंतर्मन में घुलती मिसरी- सी है, माँ….।

आँचल का छाँव, निर्मल, स्नेहिल संगीत का दरिया जन्नत का माँ….।

बोल है अनमोल, ममता न्योछावर साँस -साँस खुशबू सुख का सागर ,माँ …..।

करुणा भरी आँखें, आस्था, विश्वास शब्द की भाषा मानस की चौपाई माँ…. ।

मन की अभिलाषा, सहस्त्र ढाल लव कुश की सीता तजुर्बा की खान, माँ….।

बहता हुआ नूर, गंगाजल, फूल व्रत ,उत्सव, त्योहार प्रेम का कुआँ माँ…..।

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