मोदी की बड़ी उपलब्धि: जी-7 के सदस्य नहीं होने के बावजूद मोदी वर्ल्ड में नंबर वन लोकप्रिय नेता
Last Updated on May 21, 2023 by Gopi Krishna Verma
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी G-7 के शिखर सम्मेलन में भाग लेने जापान गए हैं। इस साल G-7 समिट की अध्यक्षता जापान कर रहा है। बैठक जापान के हिरोशिमा में आयोजित किया जा रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि भारत G-7 समूह का हिस्सा नहीं, बावजूद भी भारत को इसमें शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है। प्रधानमंत्री मोदी लगातार चौथी बार G-7 में शामिल हो रहे हैं।
भारत G-7 के सदस्य नहीं बावजूद मोदी वर्ल्ड में नंबर वन:
G-7 सम्मेलन के सदस्य नहीं होने के बावजूद भी उसमें इस बार के सबसे लोकप्रिय नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं। उनकी अनुमोदन रेटिंग 78 फीसदी है। एक सर्वे के मुताबिक 22 देशों में से सिर्फ चार देशों के नेताओं की अनुमोदित रेटिंग 50 फीसदी से ऊपर है। इसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, स्विट्जरलैंड के राष्ट्रपति एलेन बेसेंट, मैक्सिको के राष्ट्रपति एंड्रेस मैनुअल लोपेज ओब्रेडोर और आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज शामिल है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन छठे नंबर पर है।
क्या है G-7 समूह:
G-7 कभी जी-6 तो कभी जी-8 भी हुआ करता था। वहीं, वर्तमान में इसे जी-7 यानी ग्रुप ऑफ सेवन कहा जाता है। जी-7 दुनिया की सात सबसे बड़ी विकसित अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों का समूह है। इसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं, इसलिए इसे ग्रुप ऑफ सेवन कहा जाता है।
क्या है जी-7 के सिद्धांत:
जी-7 समूह की स्थापना आज से 50 साल पहले 1973 में की गई थी। अक्सर ऐसे कई समूहों का मुख्यालय होता है, लेकिन जी-7 में अनोखी बात यह है कि इसका किसी भी देश में मुख्यालय नहीं है। यह ग्रुप मानवीय मूल्यों की रक्षा, लोकतंत्र की रक्षा, मानवाधिकारों की रक्षा, अंतर्राष्ट्रीय शांति का समर्थक, समृद्धि और सतत विकास के सिद्धांत पर चलता है। इसके साथ ही यह समूह खुद को “कम्यूनिटी ऑफ़ वैल्यूज” का आदर करने वाला समूह मानता है।
भारत को जी-7 से क्या है फायदा:
जी-7 ग्रुप में भारत इसका सदस्य नहीं है, लेकिन इसके बावजूद भी लगातार चौथी बार पीएम इसमें शामिल हो रहे हैं। वहीं, चीन भी इस समूह का हिस्सा नहीं है, ऐसे में चीन की बढ़ती हुई विस्तारीकरण की नीति से निपटने के लिए यह समूह भारत के लिए मददगार साबित हो सकता है। G7 की बैठक में चीन को काबू करने के लिए भारत भी अमेरिका और जापान के साथ मिलकर काम कर सकता है। G7 में कई ट्राइलैट्रल यानी जरूरत के मुताबिक अलग-अलग तीन देशों की मीटिंग होती हैं। इसमें भारत भी किन्हीं दो देशों के साथ बैठकर किसी मुद्दे पर अपनी बात रख सकता है। इसमें शामिल हो कर भारत इन देशों की तेज गति से विकास करने की रणनीति को भी अमल में ला सकता है। UN में फैसला हुए बिना ही इस समूह के देश दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में दखल देते हैं, इससे भारत सहमत नहीं है। वो गेस्ट के रूप में भारत बुलाते हैं तो इन मामलों में हम अपना पक्ष रख पाते हैं।