सांसारिक सुखों में लिप्त रहना दुर्भाग्य: भृगु भूषण

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Last Updated on November 27, 2023 by Gopi Krishna Verma

एकादशी उद्यापन सह भगवत ज्ञान यज्ञ में बोले कथावाचक

जमुआ। जमुआ में कृष्णदेव राय के घर बीते छह दिन से चल रहे एकादशी व्रत के उद्यापन सह श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ से क्षेत्र का माहौल भक्तिमय बना हुआ है। यज्ञाचार्य जयकृष्ण पांडेय द्वारा विधि पूर्वक पूजन का कार्य करवाया जा रहा है। प्रवचन के दौरान वाराणसी से आए श्रीमद्भागवत कथावाचक भृगु भूषण जी महाराज ने कहा कि भागवत पुराण हिन्दुओं के अट्ठारह पुराणों में से एक है। इसका मुख्य विषय भक्ति योग है, जिसमें कृष्ण को सभी देवों का देव या स्वयं भगवान के रूप में चित्रित किया गया है। इसके अतिरिक्त इस पुराण में रस भाव की भक्ति का निरुपण भी किया गया है। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम के द्वारा किए गए कार्यों और श्रीकृष्ण के द्वारा बताए गए मार्गों को हमें अपने जीवन में आत्मसात करनी चाहिए। हम सांसारिक सुखों को ही सब कुछ मानकर उसमें लिप्त रहने में ही अपना सौभाग्य और जीवन की सफलता समझते हैं। जो गलत है। हालांकि सांसारिक सुखों में लिप्त रहने वाले लोग भी अपने आप को पूर्ण नहीं मानते, उन्हें पूर्ण शांति और सुकून नहीं प्राप्त होता है। ईश्वर की आराधना ही मोक्ष का एकमात्र मार्ग है।

कहा सफलता प्राप्त करने के लिए हमें जीवन में कई सारे नियमों का पालन करना होता है। इसके लिए कठिन परिश्रम, मेहनत, लगनशील, धैर्यवान, आशावादी, सच्चाई और समय का सदुपयोग करने की जरूरत होती है। कई बार हम अवसरों को खो देते हैं। सही समय पर सही फैसले नहीं लेते, तो कई बार मन का आलस्य हमें आगे नहीं बढ़ने देता है। बड़े भाग्य से मानव तन मिलता है। अपने जीवन को सफल बनाने के लिए ईश्वर द्वारा बताए गए मार्ग पर चलना होगा। इस संगीतमय प्रवचन को सुनने के लिए सैकड़ों की संख्या में लोग पहुंच रहे हैं।

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