सुंदरकांड पाठ से बच्चों में पनपते दुर्विकार को मिटा सकती हैं माताएं: देवी प्रतिभा
Last Updated on April 14, 2024 by Gopi Krishna Verma
बिरनी। दुर्भावना और दुर्विकारों से ग्रसित बच्चों का आचरण उनकी माताएं सद्गुणों में परिवर्तित कर सकती है। मां ही बच्चे में अच्छे संस्कारों को भर सकती है, ऐसी अद्भुत क्षमता सिर्फ मां में हीं होती है।
उक्त बातें खैरीडीह पंचायत के ग्राम गोरडीह में हो रहे श्री श्री 1008 रामचरित मानस महायज्ञ में कथा के पांचवे दिन बनारस से चल कर आई देवी प्रतिभा ने कहा। उन्होंने कहा कि वर्तमान के मोबाइल युग में बच्चे बिगड़ते जा रहे हैं, जिसका कारण उनके माता-पिता के आचरण का प्रभाव होता है, माताएं मोबाइलों में रील्स बनाती है, मोबाइलों का अधिकतम दुरुपयोग करती है। वैसे में आपके बच्चे भी आपकी नकल करते हैं; परंतु यदि आप चाहते हैं कि आपके बच्चों में अच्छा संस्कार आए, उनमें नैतिकता का गुण आए, आपके बच्चे पढ़े-लिखे तो आपको अपने घर का माहौल में परिवर्तन करना होगा।
रिल्स बनाने के बजाय आप साधु महात्माओं के प्रवचनों को सुनकर घर में धार्मिक माहौल उत्पन्न कर सकते हैं। प्रतिदिन रामायण के सुंदरकांड का पाठ करें और बच्चों को भी इसे पढ़ने के लिए प्रेरित करें। आपके बच्चे सद्गुणों से परिपूर्ण हीं नहीं बल्कि दीर्घायु होंगें।
मौके पर रानी सेवा समिति के अध्यक्ष द्वारिका महतो, सचिव रामेश्वर महतो, उपसचिव रामचंद्र यादव, उपाध्यक्ष अर्जुन यादव, मुख्य पुजारी सुरेंद्र विश्वकर्मा, झूपर गोप, पंचायत समिति सदस्य प्रतिनिधि मुकेश पासवान, राजू वर्मा, समाजसेवी बिरेंद्र वर्मा, अनंत यादव, अशोक चौधरी समेत हजारों की संख्या में श्रद्धालु गण उपस्थित थे।