कभी संयुक्त बिहार को चौथे व 17वें मुख्यमंत्री देने वाला गिरिडीह अब कांग्रेस विहीन, कार्यकर्ता पीछलग्गु बनने पर मजबूर

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Last Updated on October 25, 2024 by Gopi Krishna Verma

बिहार के चौथे मुख्यमंत्री कृष्णवल्लभ सहाय 1952 में गिरिडीह से जीत चुके हैं चुनाव; वहीं संयुक्त बिहार के 17वें मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दुबे भी 1980 में गिरिडीह लोकसभा चुनाव जीते चुके हैं

गिरिडीह। झारखंड के गिरिडीह जिले में कभी कांग्रेस की काफी मजबूती पकड़ होती थी; परंतु आज स्थिति इसके ठीक विपरीत हो गया है। आज़ यहां इसके कार्यकर्ताओं को एक विधानसभा सीट तक नसीब नहीं हो पा रहा है। वे लोग गठबंधन के नेताओं के पीछलग्गु बनकर रह गए हैं।

गिरिडीह में कांग्रेस का इतिहास

बताते चलें कि गिरिडीह विधानसभा सीट से कृष्णवल्लभ सहाय 1952 में चुनाव जीते और बाद में बिहार के चौथे मुख्यमंत्री हुए। वहीं संयुक्त बिहार के 17वें मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दुबे भी 1980 में गिरिडीह लोकसभा चुनाव जीते थे। वर्तमान राज्यसभा सांसद डॉ. सरफराज अहमद भी 1984 में गिरिडीह के सांसद बने। जिन्होंने केंद्रीय राजनीति में बड़ी पहचान बनाई थी, जिनके घर कभी राजीव गांधी भी पहुंचे थे। तब इस जिला में कांग्रेस का दबदबा होता था।

1952 में कांग्रेस से ही नागेश्वर प्रसाद सिन्हा, 1967 में आई अहमद, 1971 में चपलेंदु भट्टाचार्य सांसद हुए; लेकिन 1989 के बाद फिर कभी कांग्रेस गिरिडीह को सांसद नहीं दे पाई। इतना ही नहीं जिला परिषद के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष दोनों पदों पर कांग्रेस का कब्जा होता था।

कोडरमा लोस से 1984 से अब तक के गिरिडीह विस सीटों से कांग्रेस विधायक

गिरिडीह विस सीट से विधायक:

1952: कृष्णवल्लभ सहाय, 1962: रघुनंदन राम,1967: रघुनंदन राम, 1980: उर्मिला देवी, 1990: ज्योतिंद्र प्रसाद।

जमुआ विस सीट से विधायक:

1952: सदानंद प्रसाद, 1967: सदानंद प्रसाद, 1969: सदानंद प्रसाद, 1980: तानेश्वर आजाद।

गांडेय विस सीट से विधायक:

1980-सरफराज अहमद, 2009- सरफराज अजमद

राजधनवार विस सीट से विधायक:

1990- हरिहर नारायण प्रभाकर, 1980- तिलकधारी प्रसाद सिंह, 1972- पुनित राय और 1999 में तिलकधारी प्रसाद सिंह सांसद हुए। वहीं विधानसभा चुनाव में डुमरी और बगोदर विधानसभा छोड़ सभी विधानसभा से कांग्रेस के विधायक हुए।

1952 से अब तक गिरिडीह से पांच कांग्रेसी विधायक हुए। जमुआ से चार, 1980 से गांडेय से दो और 1972 से धनवार से तीन विधायक रहे; लेकिन अब गिरिडीह पूरी तरह से कांग्रेस विहीन हो गया।

कांग्रेस कार्यकर्ताओं की लाचारी दूसरे को दें वोट:

इस पार्टी का हश्र यह हो गया है कि इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खाते में एक भी सीट नहीं गई।सरफराज अहमद जब पिछले चुनाव में झामुमो में शामिल हुए तो गांडेय सीट कांग्रेस के खाते से कट गई और इस बार जमुआ सीट से भी कांग्रेस हाथ धो बैठी। अब कांग्रेस की लाचारी गठबंधन दल को वोट देने की है, अपना एक भी उम्मीदवार नहीं रहा। इस चुनाव में गिरिडीह कांग्रेस विहीन हो गया। झामुमो को गठबंधन में सीटें चली गई हैं। आने वाले समय में अब यह जिला कांग्रेस विहीन रहने वाली है।

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