कैंप लगा लोगों को दिया जाएगा वन भूमि का पट्टा: डीसी
Last Updated on June 22, 2024 by Gopi Krishna Verma
एक नज़र:
- उपायुक्त नमन प्रियेश लकड़ा ने वन अधिकार अधिनियम, 2006 के अन्तर्गत हमर जंगल हमर अधिकार की जानकारी दी।
- अबुआ बीर अबुआ दिशोम अभियान, वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत लाभुकों को उक्त योजना से लाभान्वित करने के उद्देश्य से सभी प्रखंड कार्यालयों में कैंप लगाया जाएगा।
गिरिडीह। उपायुक्त नमन प्रियेश लकड़ा ने वनाधिकार अधिनियम 2006 से सम्बंधित जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अबुआ बीर अबुआ दिशोम अभियान, वन अधिकार अधिनियम, 2006 के अनुसार 13.12.2005 से पहले वन भूमि पर आश्रित उन समुदायों और गांवों के दावों के अनुरूप व्यक्तिगत, सामुदायिक और सामुदायिक वन संसाधन पर वनाधिकार पट्टा मुहैया दिलाने का अभियान है।
केवल अधिकार ही नहीं, वन पट्टा धारकों की आजीविका और खुशहाली के लिए वन क्षेत्र के संसाधनों और अन्य योजनाओं के समन्वय के लिए भी यह अभियान संकल्पित है। साथ ही अबुआ वीर अबुआ दिशोम अभियान के तहत पूर्व में प्राप्त आवेदनों के निष्पादन हेतु सभी प्रखंड कार्यालयों में विशेष कैंप का आयोजन इस सप्ताह बुधवार एवं गुरुवार को किया जाना है।
वन अधिकार अधिनियम, 2006 किस भूमि पर होगा लागू :
- दर्ज वन भूमि जैसे राजस्व गांव में स्थित राजस्व वन भूमि; जैसे बड़े झाड़ का जंगल, छोटा झाड़ का जंगल, मंझला जंगल, जंगल झाड़ी, आदि
- अलीखित, विद्यमान वन जो दस्तावेजो में दर्ज नहीं है।
वन अधिकार के प्रकार:
- व्यक्तिगत वन अधिकार, जिसके तहत एक परिवार के वन पर स्थित घरबरी और खेती की वन भूमि शामिल है, जो 10 एकड़ तक सीमित है।
- सामुदायिक वन अधिकार, जिस पर गांव के सभी परिवारों के समान अधिकार होंगे। जैसे जंगल से वन उपज संग्रह करने का अधिकार, वनों में मवेशी चरने का अधिकार, वनों में स्थित जलाशय का उपयोग करने का अधिकार।
वन अधिकार निहित करने वाले प्राधिकार वन अधिकार को मान्य करने हेतु अधिनियम के तहत तीन स्तर पर प्राधिकार होते हैं, जैसे:- ग्राम स्तर पर ग्राम अधिकार समिति, अनुमंडल स्तर पर अनुमंडल स्तर वन अधिकार समिति, जिला स्तर पर जिला स्तरीय वन अधिकार समिति, इसके अलावा राज्य स्तर पर राज्य स्तरीय निगरानी समिति।
अबुआ बीर दिशोम आभियान के सफल क्रियान्वयन हेतु विभिन्न जनजातीय/क्षेत्रीय भाषाओं में ट्रेनिंग के साथ-साथ संचालन एवं मॉनिटरिंग हेतु वेबसाईट और मोबाईल एप्लीकेशन भी तैयार किया गया है।
अभियान का उद्देश्य: इसके तहत राज्य में पहली बार व्यापक स्तर पर आदिवासी और वनों पर निर्भर रहने वाले लोगों को उनके दावों के अनुरूप व्यक्तिगत, सामुदायिक और सामुदायिक वन संसाधन पर वनाधिकार पट्टा मुहैया कराया जाएगा।