आजादी, अंग्रेजों की बर्बरता और अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले हर क्रांतिकारी को हूल दिवस पर नमन: सुदिव्य
Last Updated on June 30, 2024 by Gopi Krishna Verma
गिरिडीह। रविवार को गिरिडीह ज़िले में हुल दिवस को लेकर बस स्टैंड स्थित झामुमों ज़िला कार्यालय में हूल दिवस मनाया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि गिरिडीह सदर के विधायक सुदिव्य कुमार सोनू उपस्थित हुए। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री सोनू ने कहा किभारत की आजादी, अंग्रेजों की बर्बरता और अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले हर क्रांतिकारी को हूल दिवस पर नमन। यह दिवस, हर बर्बरता और अत्याचार के खिलाफ़ आवाज उठाने का प्रतीक है। उसकी खिलाफत का प्रतीक है। सिद्धो-कान्हू, चांद-भैरव,फुलो-झानो सहित सभी क्रांतिकारियों को नमन। निश्चित रूप से अगर भारत में स्वतंत्रता के लिए सबसे पहले बिगुल फुकने वालो में झारखंड का नाम अव्वल रहना चाहिए था; परन्तु ऐसा न हो सका! सभी जानते है कि सन् 1855 में भोगनाडीह साहिबगंज में चाँद-भैरव, सिदो-कान्हु और फुलो-झानू के नेतृत्व लगभग पच्चास हज़ार से ज़्यादा आदिवासी-मूलवासी ने अंग्रेजों के शोषण के ख़िलाफ़ आज़ादी की लड़ाई की शुरुआत की। जिसमें हज़ारों लोगों ने अपनी शहादत दी। झारखंड के बुद्धिजीवियों से आग्रह है कि इस विषय में शोध करे और वास्तविकता को सामने लाए।
मौके पर उपस्थित रजक, अभय सिंह, मो० ज़ाकिर, राकेश रंजन, मो० अनवर, योगेन्द्र सिंह, सचिन, मो० सरफ़ुद्दीन, मो इबरार, सैफ़ अली गुड्डू, बढ़न वर्मा, मो॰ असद्दुल्ला सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे।