सोहराय पेंटिंग झारखंड की प्राचीन कला: मुखिया
Last Updated on June 15, 2024 by Gopi Krishna Verma
पलरा में सोहराय पेंटिंग का ट्रेनिंग शुरू, जूट बैग का होगा वैल्यू एडिशन
गिरिडीह। राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक ( नाबार्ड ) के सौजन्य से आइडिया गिरिडीह के द्वारा गिरिडीह जिला अंतर्गत जमुआ प्रखंड के केन्दुआ पंचायत के ग्राम पलरा में सूक्ष्म उद्यम विकास कार्यक्रम अंतर्गत सोहराय पेंटिंग का पंद्रह दिवसीय प्रशिक्षण शुरू हुआ। प्रशिक्षण का उद्घाटन स्थानीय मुखिया आशा देवी के द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।
उन्होंने प्रशिक्षण ले रही महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि सोहराय पेंटिंग झारखंड की महत्वपूर्ण कला है। जो हमारे पूर्वजों से चला आ रहा है। इस कला को सिखना बहुत आसान है। दीपावली में कोहबर पेंटिंग हर घर में वर्षों से होता आ रहा है। ट्रेनिंग देने हजारीबाग से आई पार्वती देवी ने कहा कि सोहराय पेंटिंग झारखंड की प्राचीन कला है। पहले मिट्टी घर के दिवालों में सोहराय पेंटिंग किया जाता था। अब समय के साथ जूट बैग, फोल्डर फाइल, शाॅल, साडी, गमछा पर सोहराय पेंटिंग करके इन वस्तुओं का वैल्यू एडिशन किया जा रहा है।
केन्दुआ एफपीओ के डायरेक्टर रंजीत कुमार मंडल ने कहा कि ग्रामीण महिलाओं की आमदनी बढ़ाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए नाबार्ड और आइडिया संस्था का प्रयास सराहनीय है।
आइडिया के प्रोग्राम कॉर्डिनेटर खुशी शर्मा ने कहा कि झारखंड का सोहराय पेंटिंग देश भर में प्रसिद्ध है। पलरा जमुआ की महिलाएं भी सोहराय पेंटिंग सीखकर इस क्षेत्र का नाम रौशन करेंगी। साथ में यह कला इनकी आमदनी बढाने में सहायक होगी।
कार्यक्रम में बबीता देवी, सुमंती देवी, गिरजा देवी , अनिता देवी, संगीता देवी, संजू देवी, मंजू देवी, द्रोपदी देवी, मनीषा देवी सहित समूह की कुल 30 महिलाए भाग ले रही है।